Saturday, 1 March 2014

रविवार बना " रैलीवार " …… 

पिछले कुछ समय से सोचता हूँ आज रविवार है आज अगर कार्यालय जा रहा हूँ तो जी को कुछ सुकून मिलेगा , कारण ये की मीडिया कि नौकरी में केवल रविवार को ही कुछ कहा जा सकता है कि आज आराम मिल सकता है , लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसा लगता है कि सियासी पार्टियो कि जैसे कोई सांठगांठ बन गयी है कि रविवार को ही रैलियो का अम्बार कर देती हैं , ऐसा ही शायद मेरे सभी मीडियाकर्मी सहयोगी भी मानते होंगे , अगर रविवार को कोई रैली हो गयी तो बस न्यूजरूम में केवल एक ही बात निकलती है कि " भई संडे की  तो लग गयी" …… 

अब सन्डे के लगने कि बात सुनिये सबसे पहले तो नेता जी का फालो अप , इसके बाद नेता जी के बोल वचन , अब इसके बाद नेता जी के बोल वचन के बखिया उधेड़ने वालो कि जमात को इकट्ठा करने कि जुगत , सन्डे बेचारा इसी में मारा जाता है । 

आब आज जब ये बात लिख रहा हूँ  तो आज भी तीन धुरंधर जमातो की रैलियां ही हैं , पहले तो भाजपा के दूसरे  पी एम इन वेटिंग मोदी भाई आज नवाबो के शहर लखनऊ में हैं , इसके बाद धरती पुत्र मुलायम संगम नगरी इलाहाबाद में , और भ्रष्टाचार को झाड़ू से सफाई करने का बीड़ा उठाये केजरी भाई आज यू पी के मैनचेस्टर  यानी कानपुर में हैं । 





तीन कोनो से आज सिर्फ एक ही बात निकलेगी अगला वाला निकम्मा , भ्रष्ट और जनता के लिए नालायक है , आप सिर्फ हमारे बारे बारे में अच्छा सोचिये … और मैं  क्या सोचता हूँ कि चाहे जितना फेंक लो , साला आज तो मेरी लग गयी  ……  

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