Friday, 4 October 2019


सत्ता के आगे विपक्ष का "संक्रमणकाल"...


उत्तर प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक  बयार  बह रही है, उसमे ये कहा जा सकता है कि सत्ता पक्ष फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रहा है, विपक्ष के पास उस तेज बल्लेबाजी को रोकने के लिए न तो आरोपों की गुगली, न मुद्दों की स्पिन बॉलिंग, न ही उनके (सत्ता) के गलतियों की कैचिंग पॉवर है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य अगर देखें तो इस वक़्त सत्ता की कई सारी गलतियां ऐसी हैं ,जिनको लेकर विपक्ष उनको भुना सकता था,लेकिन कोई भी विपक्षी दल या नेता नही है जो उन मुद्दों को हवा देकर उसमे जान फूंक सके।

कल ही खत्म हुआ विधानसभा का विशेष सत्र इसकी एक बानगी था। जिस सदन में विपक्ष को जनहित के मुद्दों सवालों को उठाना था,उस सदन को उन्होंने बहिष्कृत कर दिया। उस सदन में अगर विपक्ष सत्ता पक्ष से महंगाई, पूर्वांचल में आई बाढ़ से तबाही और मौतें, लाचार कानून व्यवस्था, पुलिसिया उत्पीड़न , मोटर व्हीकल एक्ट के तहत होने वाली विसंगतियां और कठोर नियमों में पिस रही जनता की बातों के जायज़ सवाल पूछते तो सदन में उठा सवाल "ऑन रिकॉर्ड" होता ,और सत्ता को उसका जवाब देना भी पड़ता । लेकिन हुआ उसका बिल्कुल उलट, उस सदन का बहिष्कार करके विपक्ष सड़क पर छोटी सी भीड़ को इकट्ठा करके सरकार की मजबूत चूलें हिलाने की कोशिश में था, जो औंधे मुंह धड़ाम से गिरीं।

उत्तर प्रदेश में जिस समाजवादी पार्टी को सत्ता के मजबूत विपक्ष के रूप में देखा जा रहा था,वो समाजवादी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है,हालिया बीते लोकसभा चुनाव में जहां उन्होंने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी बीएसपी से गठबंधन करके खुद के वोटबैंक में सेंध लगवा दी है,वो सेंध अब उसके नेतृत्व में लग गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक ऐसे कमजोर नेतृत्वकर्ता साबित हो रहे हैं जो अपने मुख्यमंत्रित्व काल और उस रुतबे से सत्ता जाने के लगभग ढाई साल बाद भी नही निकल पा रहे हैं। हां इस बीच उन्होंने लोकसभा चुनाव ने एक अजीब "केमेस्ट्री" का प्रयोग करने की कोशिश की जिसका "रिएक्शन" उनसे बड़ी कीमत ले गया। कहने की बात नही ये "प्रयोग" बिल्कुल "असंगत" और न्यायोचित नही था। उसका खामियाजा उन्हें अपना "कोर वोटर" खोकर भुगतना पड़ा। अभी भी अखिलेश यादव सोचते हैं कि सत्ता उन्हें "ट्वीट" करके ही मिलेगी,उन्हें ये सोचना चाहिए कि उनका "कोर वोटर" जो खलीलाबाद के किसी गांव गिरांव में,रसड़ा के किसी कछार में, दुद्धी या फूलपुर, सगड़ी के किसी मजरे में  किसानी करने वाला खेतिहर है। उसके लिए ट्वीट से ज्यादा उसके क्षेत्र में होने वाली जनसभा,रैली होती है , जो वो देखता है,सुनता है।

कांग्रेस में इस वक़्त अजब सी जल्दबाजी दिख रही है,प्रियंका गांधी जैसा उसका ब्रह्मास्त्र भी कुछ खास कारगर नही दिख रहा। इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग उसने लोकसभा चुनाव के दौरान किया,लेकिन नतीजा उत्तर प्रदेश में मृतप्राय हो चुका कांग्रेस का संगठन,बूथ लेवल कार्यकर्ता इस संजीवनी से भी जिंदा नही हो पाया , लिहाजा उसकी परम्परागत अमेठी सीट हाथ से निकल गई, अब उस मुर्दा संगठन को जिंदा करने का जिम्मा प्रियंका गांधी वाड्रा ने उठाया है, ये समय के गर्भ में है वो कौन सा अचूक मंत्र होगा,जिसे प्रियंका अपने कार्यकर्ताओं को देंगी,क्योंकि लोकसभा चुनाव बीते 4 महीने हो चुके हैं, प्रदेश तो छोड़िए, जिला इकाई तक का गठन अभी तक नही हो पाया है। और अगले 20 दिन में विधानसभा की खाली हुईं 11 सीटों पर उपचुनाव है,हालांकि बुझे मन से ही सही कांग्रेस इस उपचुनाव में ताल ठोंक रही है। 

बहुजन समाज पार्टी का कुछ समय पहले गिरता हुआ ग्राफ कुछ उठता दिखाई पड़ रहा है,लेकिन बीएसपी आज भी अपने परम्परागत ढर्रे पर चल रही है, मुखिया मायावती को अब ये समझना चाहिए कि भाषण पढ़ने मात्र से जनता से जुड़ाव मुश्किल है, बदलते दौर में कम से कम मायावती ने ये सही समझा कि इस जुड़ाव के लिए "सोशल मीडिया" "ट्वीटबाजी" करना अनिवार्य है,लिहाजा उनका इस प्लेटफार्म पर आना कुछ हद तक समय के लिहाज से सही है,लेकिन जनता से जुड़ाव बहुत दूर की कौड़ी लगती है।

आने वाले उपचुनावों के लिए जिस तरह विपक्ष में धार होनी चाहिए वो दिखाई नही पड़ती,वहीं भारतीय जनता पार्टी इस "गेम" में सबसे आगे दौड़ती नजर आती है, राष्ट्रवाद का तड़का, हिंदुत्व की चाशनी, गाय,गोबर,गौमूत्र ,भ्रष्टाचार मुक्त समाज के जुमलों में अभी भी जनता का विश्वास नजर आता है, जिसके "दम्भ" में बीजेपी की सत्ता का आधार मजबूत दिखाई पड़ता है। लेकिन वही बीजेपी तब कमजोर दिखाई पड़ती है,जब नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की बात करती है तो उसके दामन पर कुलदीप सिंह सेंगर,स्वामी चिन्मयानंद जैसे कुत्सित ,कुकृत्य एक दाग छोड़ जाते हैं, अगर यहां यही विपक्ष इन मुद्दों के प्रति "रणछोड़" साबित न हुआ होता, और उन मुद्दों को सदन में उछालता तो गेंद जरूर "हिटविकेट" होती। 

पुरबिया बकैतबाज.....

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