अस्तित्व का एक रुका हुआ फैसला "अयोध्या " .......
आज......अयोध्या की अविकल, अविरल, सतत पुण्य सलिला
मां सरयू अपने पूरे रौब में बह रही हैं , मां सरयू मानो कह रही हैं "जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्ते भारतवर्षे एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की ,यही जन्मभूमि है परमपूज्य श्रीराम की", वो राम "लला" मेरे हैं , उन "लला" रूपी राम के अस्तित्व को आज मैं अपने अंदर अनुभूति करके खुद को एक बार फिर से गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। वो सरयू मानो कह रही हैं कि सुनो सम्प्रदाय के नाम पर राजनीती करने वालों आज फिर एक बार ये सार्वभौमिक सत्य सबके सामने है कि "अयोध्या सबकी है, क्योंकि राम सबके हैं", इस लिए अब बस करो नफरतों , वैमनस्यता को दूर करके इस राष्ट्र की उन्नति की ओर अपना कदंम बढ़ाओ।
आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, और आने वाले सदियों तक के लिए इतिहास बन गया ये देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला, जिसने देश में लंबे समय से राजनीति का केंद्र रहे अयोध्या मसले को एक मूर्तरूप दे दिया। उसमें अयोध्या की अब तक विवादित रही जमीन, जिसे रामजन्मभूमि कहा गया , उसे हिंदू पक्षकारों को दे दी है। इस तरह से अगर देखा जाए तो अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है, हालांकि इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में ही महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देने का भी निर्देश दे दिया।
यह जीत-हार की प्रतिक्रियाओं से बाहर आने का वक़्त है। राम में आस्था का सीधा-सा मतलब है कि राम के चरित्र को एहसास में उतारने का उपक्रम किया जाए। प्रभु राम समाधान के हर जतन के बाद अन्तिम क्षणों में युद्ध का उद्घोष करते हैं, लेकिन युद्ध जीत जाने के बाद भी अपने दुश्मन से नफ़रत नहीं करते, बल्कि दुश्मन की क़ाबिलियत को पूरा आदर देते हुए अपने भाई को शत्रुरूपी रावण के पास ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजते हैं। भारत अपने सांस्कृतिक शिखर को दुबारा पाना चाहे तो रास्ता नफ़रत का नहीं, प्रेम का ही हो सकता है।
आज अधिकतर मुस्लिम नेताओं/संगठनों/लोगों ने जिस संयम तरीके से जिस तरह आज खुद को पेश किया उससे कुछ खास लोगों की "मंशा" पूरी तरह फेल हो गयी जो मुद्दा को और खींचना चाहते थे। यहाँ साधुवाद ऐसे सभी मुस्लिमों भाइयों को भी है ,जिन्होंने इस फैसले को "नज़ीर" बताया , ये फैसला आने वाली नस्लों के लिए उनकी एक दशा और दिशा तय करेगा ,फैसले के बाद की स्थितियों को लेकर जतायी जा रही तमाम आशंकाओं और अटकलों के विपरीत उत्तर प्रदेश में हालात बिल्कुल सामान्य रहे। शुरू में सड़कों पर सन्नाटा जरूर दिखा, मगर बाद में लोगों और वाहनों का आवागमन सामान्य रहा। रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को प्रमुख पक्षकारों के साथ- साथ पूरे उत्तर प्रदेश ने बेहद सहज भाव से स्वीकार किया और फैसले के बाद हालात बिल्कुल सामान्य रहे। मामले के अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए ऐलान किया कि वह इस फैसले को चुनौती नहीं देंगे।
इसी ऐतिहासिक फैसले में निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय द्वारा विवादित जमीन से अपना दावा खारिज किये जाने पर कहा कि उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है क्योंकि अदालत ने रामलला के पक्ष में फैसला दिया है।
अयोध्या मामले में आज जिस बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है , वो बेंच भी ऐतिहासिक बन गयी है , क्योंकि ये बेंच भविष्य के इतिहास के सिलेबस जरूर पढ़ाई जाएगी,इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सर्वसम्मति से इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
अयोध्या मामले में आज जिस बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है , वो बेंच भी ऐतिहासिक बन गयी है , क्योंकि ये बेंच भविष्य के इतिहास के सिलेबस जरूर पढ़ाई जाएगी,इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सर्वसम्मति से इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खाते में यूं तो कई अहम फैसले हैं, लेकिन शायद उन्हें सबसे ज्यादा याद राम जन्मभूमि के फैसले को लेकर किया जाएगा। 70 साल से अटके इस विवाद को जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुना। पीठ ने 40 दिन लगातार सुनवाई की। मामले से संबंधित सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई को खत्म किया गया।
इस खंडपीठ के तीसरे जज जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। उन्होंने अयोध्या मामले से पहले भी कई अहम मामलों में फैसले दिए हैं, जिनमें केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को असंवैधानिक ठहराना, निजता को मौलिक अधिकार घोषित करना, दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना, व्यभिचार के संबंध में आइपीसी की धारा 497 को मनमानी व समानता के हक का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक घोषित करना और इच्छामृत्यु का अधिकार जैसा फैसला शामिल है।
आज फैसले के दिन फैसला तो सबको पता है लेकिन एक उसी अयोध्या की पवित्र माटी की पैदाइश होने के कारण उस फैसले के सन्दर्भ में कुछ बातें थीं जिन्हे आम जनमानस में पब्लिक डोमेन मे आनी चाहिए जिसके लिए ये छोटी सी मन की भावना बाहर आई।
जस्टिस गोगोई के बाद बनने वाले देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। वह 12 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस बोबडे आगामी 18 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। जस्टिस बोबडे कई अहम मामलों में फैसला दे चुके हैं। इनमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करना, प्रदूषण नियंत्रण के लिए 2016 में दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने जैसे फैसले शामिल हैं।
चौथे जज जस्टिस अशोक भूषण 13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। वह कई अहम फैसले देने वाली पीठ में शामिल रहे हैं। इनमें इच्छामृत्यु का अधिकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच अधिकारों का मामला शामिल है।
इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाने वाले बेंच में पांचवे जस्टिस एस अब्दुल नजीर 17 फरवरी, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। उन्होंने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने समेत कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। एक साथ तीन तलाक के मामले में जस्टिस नजीर ने अल्पमत का फैसला दिया था।
आज फैसले के दिन फैसला तो सबको पता है लेकिन एक उसी अयोध्या की पवित्र माटी की पैदाइश होने के कारण उस फैसले के सन्दर्भ में कुछ बातें थीं जिन्हे आम जनमानस में पब्लिक डोमेन मे आनी चाहिए जिसके लिए ये छोटी सी मन की भावना बाहर आई।
अभिषेक द्विवेदी
अयोध्या से
अयोध्या से



Behtareen dubey ji
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया भाईसाब
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