Friday, 31 May 2013

चुप तुम रहो , चुप हम रहें , ख़ामोशी को ख़ामोशी से ..........


गुरु जी हमेशा की तरह आज भी चुप थे ऐसा लग रहा था गोया आज मौनी अमावस्या है , मुझे उनकी चुप्पी बड़ी अखर रही थी तो मैंने उनसे पूंछ  ही लिया की आखिर इस "मौन" का कारण क्या है .... पहले तो कुछ देर शांत रहे फिर सुकरात और आधुनिक मौनी बाबा मौनमोहन सिंह  के अंदाज में बोले की  "हजार जवाबो से बेहतर है मेरी ख़ामोशी,न जाने कितने सवालो की आबरू रखी " .....
मैंने कहा की क्या हो गया गुरु जी अभी नहीं समझा क्या तात्पर्य है आपके इस ख़ामोशी का .... फिर गुरु बोले अरे यार ये धोनिया चला गया लन्दन और अभी भी कुछ नहीं बोल रहा आखिर इसके ख़ामोशी के पीछे का बांस कौन लगाया है , समझ नहीं पा रहा हूँ , और इधर जब मेरे और गुरु के बीच संवाद चल ही रहा था तो हमारे "मौनमोहन सिंह" जी ने फिर चुप्पी तोड़ी कहा की आई पी एल का खेल भावनाओ से जुड़ा है और खेल में राजनीति नहीं होनी चाहिए , खेल और राजनीति को दूर रखना चाहिए ..... उन्ही के पीछे क्रिकेट के भगवान् ने भी अपनी बेमिसाल चुप्पी तोड़ी और वो भी तब जब उन्होंने आई पी एल को अलविदा कर दिया , सचिन ने कहा की ताज़ा फिक्सिंग के विवाद से उनको बहुत धक्का लगा है क्रिकेट के बारे में पिछले कुछ समय से जो बाते हो रही हैं वो खराब कारणों से हो रही हैं क्योंकि जितनी कंट्रोवर्सी है उनसे केवल बदनामी ही हो रही है ....
 मनमोहन सिंहके इस बयान के बाद कि "खेल में सियासत को मिलाना ठीक नहीं "लेकिन इस बयान के बाद कई सवाल खड़े हो  गए हैं क्‍योंकि हमारे देश में क्रिकेट संघों में सियासत के बड़े-बड़े मठाधीश बैठे हैं ......
इधर इन सभी घटनाओं  के बीच हमारे कांग्रेसी युवराज राहुल भी नाराज चल रहे हैं इन सारे विवादों से आईपीएल में फिक्सिंग को लेकर छिड़े विवाद के बीच पहली बार राहुल गांधी की राय सामने आई है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी इस पूरे विवाद से बेहद नाराज हैं. इसी वजह से खेल मंत्री जीतेंद्र सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुलेआम श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की थी. इतना ही नहीं राहुल गांधी राजीव शुक्ला की भूमिका से भी नाराज हैं, वो नहीं चाहते कि राजीव शुक्ला दोबारा आईपीएल के साथ जुड़ें. हालांकि खुद राजीव शुक्ला भी कह चुके हैं वो दोबारा आईपीएल के चेयरमैन नहीं बनना चाहते. ...
अब मैंने कहा की गुरु जी अभी आगे देखिएगा कितने लोगो की चुप्पी टूटती है , लिहाज आपकी चुप्पी भी बहुत बड़ा विवाद का कारण  बन सकता है , इसलिए आप खामोश न  रहिये , करते रहिये बकैती , बकैती जारी है ..............

बकैतबाज .....

Tuesday, 28 May 2013

भाजपा ने 'राम" से किया किनारा ....

इतना दिन से भाजपा में जम कर बकैती चल रही थी, और बकैती भी उसके लिए जिसने उसे सत्ता दिलाई थी जी हाँ "राम "...... राम का यहाँ दो लोगो से मतलब है , एक तो वो राम जिनका राजनीतिकरण करके बी जे पी  ने राम के नाम का पेटेंट और कापीराईट ले लिया था ,, और दूसरे  वो राम जो पिछले करीब चार महीने से कुछ ज्यादा ही सठिया गए थे , तो अबकी बार बारी उन्ही सठियाये "राम" की थी , जिन्होंने हर ख़ुशी के मौके पर बी जे पी को पानी पी-पी कर गरियाया और कोसा .....
पिछले कुछ समय से भाजपा में एक बयार चली की अगले चुनाव में प्रधानमंत्री कौन होगा ? ..... ये मुद्दा भाजपा से होकर वाया संघ होते हुए एन डी ए का राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था और अभी भी इस "बिल" पर यदा कदा बहस जारी  ही रहती है , इस बहस में कभी शत्रुघ्न सिन्हा , उनके गुरु यशवंत सिन्हा और कभी कभी और छुट भैये भी कूद पड़ते थे , लेकिन इन सबके स्वयं भू कमांडर थे राम यांनी राम जेठ मालानी .........
राम जेठ मालानी ने पार्टी की विचारधारा को हमेशा टाक पर रखा क्योंकि थे तो वो बड़े वकील भी , इसी लिए कभी कभी जरुरत से ज्यादा बोल जाते थे ..... पार्टी ने उनको समय समय पर रेड कार्ड भी दिखाया था , लेकिन अपने में मस्त राम जेठ जी नहीं मानते थे .. कभी यही राम सीता जी के हरण के लिए राम को दोषी बना देते थे , और उनका कहना था राम ने कभी मर्यादा का पालन नहीं किया ..... आज जा कर बी जे पी ने राम जेठ मालानी को छ सालो के लिए पार्टी से निष्काषित कर के राम से किनारा कर लिया , इसके लिए भी कहा जा रहा है की जेठमलानी के खिलाफ पार्टी में एक लाबिंग हो रही थी , और परिणामतः आज भाजपा ने राम को गुड बाय कह दिया .... इनके एक पुत्र हैं महेश जेठमलानी जिन्हों ने पिता का हमेशा साथ दिया और एक तरफ उन्होंने भी बगावत का झंडा बुलंद कर लिया था , पिछले कुछ समय से छोटे जेठमलानी जी शांत हैं , अब आगे क्या होता है उस पर देखना है ....
इधर मेरे एक पुराने जनसंघी गुरु जी ने मुझसे कहा की यार ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन क्या करें अपनै खून नालायक निकल जाये तो क्या किया जाये , तो मैंने कहा गुरु जी कम से कम एक मौका तो दिया होता , तो गुरु कहे कितना मौका दे यार , अब नहीं लगता की इस जीवन में भाजपा में वापस आयेंगे , अगली बार इनको अलग से सेल बना कर अध्यक्ष बना देंगे , हमने कहा कौन सेल गुरु जी , तो गुरु ने कहा कि राष्ट्रीय बकैतबाज आयोग के अध्यक्ष ....................

बकैतबाज ......

Sunday, 26 May 2013

 लाल सलाम की रिसर्च  और मै ........


यकीन मानिये आज जब मै ये नयी बकैती कर रहा हूँ तब तक "लाल सलाम" यानी नक्सलवाद या माओवाद के बारे में इतना कभी जानने की कोशिश नहीं की थी , लेकिन आज कर रहा हूँ क्योंकि जानना जरुरी था । लाल सलाम यानी नक्सलवाद के बारे में हर उस जानकारी को प्राप्त करने का मन कर रहा था जिस से देश के इस कैंसर की जड़ के बारे में पता चल सके ।
आज का मौका इसलिए भी था की एक इतनी बड़ी घटना जिस से आज छत्तीसगढ़ में कोहराम मच गया , केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं दिल्ली तक के नेता और सरकार हिल गए और नतीजा कांग्रेस के तीनो दिग्गज एक ही दिन एक ही जगह पर मौजूद रहे ।
कल  छत्तीस गढ़ के सुकमा में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर लगभग 500 से 700 नक्सलियों ने चारो तरफ से घेर कर हमला किया जिसमे पहले माइन्स ब्लास्ट किया फिर चारो तरफ से नाम पूंछ पूंछ  कर कांग्रेसियों को गोली मारी जिसमे सरकारी मौत का आंकड़ा 29 का और घायलों का आंकड़ा लगभग 40 बताया गया । ये घटना ऐसी थी की कोई कांग्रेसी या किसी नेता और पार्टी ने सोची भी नहीं होगी और ये नक्सल नरसंहार के इतिहास का एक और काला  पन्ना बन गया ।
खैर घटना हुई लेकिन इस घटना ने जिस तरह से अपना स्वरुप बनाया वो चित्र और भयावह बन गया ..... मै तत्समय की परिस्थितियां और काल सोच कर सिहर गया .. जिस समय ये घटना पहली बार मीडिया में आई उस समय मै अपने न्यूजरूम के अपने डेस्क पर लगभग उबासी ले रहा था क्योंकि उस समय कोई विशेष काम नहीं था और मै भी गीतों का आनंद ले रहा था ...
सहसा ये खबर आई और मै चौंक कर तन गया , क्योंकि ये तो पता था की आज कांग्रेस की यात्रा सुकमा और जगदलपुर क्षेत्र में होगी लेकिन ये तो एकदम विस्मित , चैतन्यता और क्या क्या कहूँ  की क्या क्या  कर गयी .... खैर घटना की अंतिम अपडेट ये थी की रात में ही राहुल गाँधी और दिल्ली से एयरबेस रवाना होगा ...लेकिन इससे पहले की घटनास्थल की उन तस्वीरो को शायद आने वाले कुछ समय तक नहीं भूलूंगा जो मैंने देखीं या यूँ कहिये की कैमरे ने दिखाई , नहीं भूलूंगा कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल की वो तस्वीर जिसमे वो गाड़ी की टेक लेकर और लथपथ हालत में लगभग ढाई घंटे उस जंगल बीहड़ में बिताये  और साथ ही  वो तस्वीरे भी  जिसमे मीडिया के पहुँचने तक गोलियों से छलनी उन कार्यकर्ताओ और नेताओं के शव घंटो पड़े रहे , कारण  यही था की घटना इतने बीहड़ जंगल में हुयी थी की वहां से सूचना आने तक दो घंटे लग गए ......
खैर घटना हो गयी और जब मैंने इस पर विचार किया तो मुझे हर जानकारी ही कम सी लगी मसलन इन माओवादी और नक्सलियों का इतिहास क्या रहा , या माओ के सिद्धांतो में क्या इतना रक्तरंजित होना लिखा है ..... इसके बाद पता चला की इतिहास तो लगभग आजादी के समय से ही चला आ रहा है लेकिन उस वक्त न तो हमारे पास इतनी सोच थी की इस नई पैदा हो रही सोच को बदल सकें और ना ही हमने इसे जरुरी समझा , और नतीजा आज हमारे सामने विकराल बन गया है ।
अब जब इस नक्सल समस्या ने अपनी विचारधारा की पैठ बनायीं तो ये इक्कीसवी सदी की नए खून में अपनी गर्मी पैदा करनी शुरू कर दी और कुछ समय से हर वो युवा लाल सलाम को अपनाने लगा जो संवैधानिक तंत्र से हार गया और इस लाल सोच को अपनाने लगा , इसी सोच को समूल नाश करने के लिए "सलवा जुडूम " बना , जो मेरे हिसाब से तो सही था लेकिन उसमे कुछ ऐसी व्यवस्था बनती गयी की जो नक्सल प्रभावित लोगो के हितो की लड़ाई लड़ने के बजाय उन शोषित लोगो का ही शोषण करने लगे , यानी सलवा जुडूम था तो आदिवासियों की हक और हकूक की रक्षा के लिए लेकिन ऐसी बाते आयीं की उसके एस पी ओ ही उन आदवासी लोगो का शोषण करने लगे , ऐसे में समस्या और विकराल हो गयी , और अब इस सलवा जुडूम की साख पर बट्टा लग रहा है ... सलवा जुडूम के जनक बस्तर के कांग्रेसी नेता महेन्द्र कर्मा कल की नक्सली नरसंहार की घटना में गोलियों से छलनी किये गए ..इसी घटना में छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल को मौत के घात उतार दिया गया , और विद्याचरण शुक्ल गुडगाँव की मेदान्ता अस्पताल में जिन्दगी मौत के बीच झूल रहे हैं
चलिए , इस घटना ने कांग्रेस की एक पीढ़ी को खतम कर दिया और देश में एक बार फिर से एक नयी बहस आने वाले कुछ दिनों तक के लिए चलाने का अवसर दे दिया है , बहस इस बात की अभी कितने लोग और इस लाल क्रांति की विचार धारा की भेंट चढ़ेंगे ? या फिर इस विकराल समस्या से निपटने में क्या हम वाकई अक्षम हैं ? या फिर अगर इसको समाप्त किया जाये तो कैसे किया जाए ?
इतनी मेरी उम्र नहीं की मै कोई बदलाव कर सकूँ , लेकिन इतनी समझ जरुर है की कुछ सुझाव जरुर दे सकता हूँ .........
पहला इस समस्या से निपटने के लिए हमें व्यवस्था की तीनो ढांचो जैसे आर्थिक , सामाजिक और राजनितिक सभी पर आधारभूत कार्यक्रंम का क्रियान्वयन करना होगा , जैसे  सबसे पहले आदिवासियों को भूमि सुधार सम्बन्धी कार्यक्रम का पूरा लाभ देना होगा , और उन्हें उनका पूरा हक़ मिले , जो अर्ध सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहे हैं उन्हें पूरी आजादी मिलनी चाहिए , इसके अलावा आदिवासियों को उनकी जीवन शैली उनकी संस्कृति की पूरा सम्मान करते हुए उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया जाना आवश्यक है इन सबके लिए हमारी केंद्र सरकार को और गंभीर होना पड़ेगा , क्योंकि दिल्ली में बैठकर और ए सी कमरों में राजनीति करके और जनता की हितो का कार्यक्रम बना लेना बहुत आसान है , असल काम धरातल पर दिखना आवश्यक है , क्योंकि महानगरो की जीवनशैली और परिस्थितियां दंतेवाडा , बस्तर,  सुकमा , पलामू , गिरिडीह और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रो से बहुत अलग है या यों कहें की अनोखी हैं ..................

बकैतबाज ....


Friday, 24 May 2013

 गुरु वार्ता - नयी बकैती ........

आज मेरे गुरु जी सबेरे से बड़े अपसेट से लग रहे थे , आज से क्या जब से ये "इंडियन पैसा लीग " में पैसो के बंदरबाट का पता चला तभी से . लेकिन आज का जो "मैटर " मै  कह रहा हूँ वो "गुरुआ" का नाम आने तक का है , अरे वही  "मयप्पनवा" के नाम आने तक का है और अभी वो एयरपोर्ट पर धर लिया गया .....खैर तो गुरु जी थे बड़े अपसेट .... कहने लगे की का भाई अब तो लगता है की फिर से गुल्ली डंडा में ही रम जाएँ , ई ससुरा "लम्ब दंड गोल पिंड" का खेल तो अब नहीं देखूंगा ..... ससुरे जनता के जज्बात का कौनो औकात ही नहीं रहा ..... इतना कहते उनकी गल्ला भर्रा गया और चेहरा लाल हो गया , क्योंकि बहुत प्यार करते थे इस खेल को ... कितना बार तो घर से रात को बाहर रहे क्योंकि "बेस्ट हाफ " ने दरवाजा ही नहीं खोला , और मैच का अलग जुगाड़ भी भारी पड़  जाता था ..... आज इतना गरिया रहे थे इन सभी दगाबाजो को की समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोलूं ...... अन्तः जब शांत पड़े तो मैंने कहा .."हे गुरुदेव , अभी क्या अभी तो और भी बुरा देखना पड़ सकता है , इस तो अभी ट्रेलर है अभी डायरेक्टर की तलाश जारी  है फिल्म तभी पूरी होगी ... गुरु कहे क्या मतलब ? हमने कहा की मतलब ये की अभी एक गुरु मिला है , एक नौटंकीवाला यानी  कलाकार मिला , एक साहब , एक बीवी , एक गुलाम मिला अभी इनको "कास्ट" करने वाले निर्देशक की तलाश जारी है , गुरु कहे की क्या मतलब , हमने कहा गुरु जी बड़े भोले हैं आप, गुरु यानी आपका मयप्पनवा  , एक कलेकार यानी बिन्दू दारा  सिंह , एक साहब जिनकी बीवी का नाम आ रहा है और वो कहती फिर रही है की "कुछ तो लोग कहेंगे , लोगो का काम है कहना ", गुरु बोले समझा और वो गुलाम, हमने कहा गुलाम वो जो यही सोच रहा है की "खाया पिया कुछ नहीं , गिलास तोडा बारह आना ", यानी श्री "संत" .........और अभी जीजू और उनके जगलरो की कोई बिसात ही नहीं ये तो बस भडुए हैं ......
इतना सब बतकही सुनने के बाद गुरु कहे की चल छोड़ मेरे भाई अब मेरा भेजा भन्ना रहा है , पहले चलो एक ठो गरम चुस्की पियाओ ... मैंने कहा बहुत सही गुरु ज्ञान भी लो और दक्षिणा भी ..... क्या करता सिर नीचा किये गुरु के पीछे हो लिया ......

बकैत बाज

Thursday, 23 May 2013


बकैत बाज की  बकैती , अर्ज़ किया है ....


कभी कभी दिल में यही बात आती है ,
क्या थे हम और क्या हो गए ,
कभी हम छंटे हरामखोर थे ,अब हम बकैतबाज हो गए ....
बकैतबाज भी इस कदर की बकैती की थाह ही नहीं ,
और थाह नहीं हरामखोरी की ,
जिगरा फकीरा हो गया , जिगरा  फकीरा ..
और दिल तो बच्चा था ही पहले से ही ...
अभी तो दिल को नादान और कमीना भी होना है ...
और यही है ताज़ा पुरबिया इश्टाइल .......

बकैत बाज की ताज़ा पोस्ट .........


सबसे पहले तो बता दूँ की आज जब मै  ये ब्लॉग शुरू कर रहा हूँ तो इसमें सभी से ये अपेक्षा है की अपने विचारो का प्रदान करेंगे , क्योंकि चाहे अच्छा हो या बुरा यहाँ सभी के विचारों का सम्मान होगा , क्योंकि दो ही चीजे हो सकेंगी या तो आप अपनी सहमती प्रदान करेंगे या फिर जुटके गरियायेंगे ......और अगर आपने मुझे गरिया दिया तो मै समझूंगा की मेरी पोस्ट कामयाब हो गयी , इसलिए आज से सभी से अनुरोध है कि खुल कर अपनी राय व्यक्त करें .....

आपका बकइतबाज ...

अभिषेक द्विवेदी .....