Friday, 24 May 2013

 गुरु वार्ता - नयी बकैती ........

आज मेरे गुरु जी सबेरे से बड़े अपसेट से लग रहे थे , आज से क्या जब से ये "इंडियन पैसा लीग " में पैसो के बंदरबाट का पता चला तभी से . लेकिन आज का जो "मैटर " मै  कह रहा हूँ वो "गुरुआ" का नाम आने तक का है , अरे वही  "मयप्पनवा" के नाम आने तक का है और अभी वो एयरपोर्ट पर धर लिया गया .....खैर तो गुरु जी थे बड़े अपसेट .... कहने लगे की का भाई अब तो लगता है की फिर से गुल्ली डंडा में ही रम जाएँ , ई ससुरा "लम्ब दंड गोल पिंड" का खेल तो अब नहीं देखूंगा ..... ससुरे जनता के जज्बात का कौनो औकात ही नहीं रहा ..... इतना कहते उनकी गल्ला भर्रा गया और चेहरा लाल हो गया , क्योंकि बहुत प्यार करते थे इस खेल को ... कितना बार तो घर से रात को बाहर रहे क्योंकि "बेस्ट हाफ " ने दरवाजा ही नहीं खोला , और मैच का अलग जुगाड़ भी भारी पड़  जाता था ..... आज इतना गरिया रहे थे इन सभी दगाबाजो को की समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोलूं ...... अन्तः जब शांत पड़े तो मैंने कहा .."हे गुरुदेव , अभी क्या अभी तो और भी बुरा देखना पड़ सकता है , इस तो अभी ट्रेलर है अभी डायरेक्टर की तलाश जारी  है फिल्म तभी पूरी होगी ... गुरु कहे क्या मतलब ? हमने कहा की मतलब ये की अभी एक गुरु मिला है , एक नौटंकीवाला यानी  कलाकार मिला , एक साहब , एक बीवी , एक गुलाम मिला अभी इनको "कास्ट" करने वाले निर्देशक की तलाश जारी है , गुरु कहे की क्या मतलब , हमने कहा गुरु जी बड़े भोले हैं आप, गुरु यानी आपका मयप्पनवा  , एक कलेकार यानी बिन्दू दारा  सिंह , एक साहब जिनकी बीवी का नाम आ रहा है और वो कहती फिर रही है की "कुछ तो लोग कहेंगे , लोगो का काम है कहना ", गुरु बोले समझा और वो गुलाम, हमने कहा गुलाम वो जो यही सोच रहा है की "खाया पिया कुछ नहीं , गिलास तोडा बारह आना ", यानी श्री "संत" .........और अभी जीजू और उनके जगलरो की कोई बिसात ही नहीं ये तो बस भडुए हैं ......
इतना सब बतकही सुनने के बाद गुरु कहे की चल छोड़ मेरे भाई अब मेरा भेजा भन्ना रहा है , पहले चलो एक ठो गरम चुस्की पियाओ ... मैंने कहा बहुत सही गुरु ज्ञान भी लो और दक्षिणा भी ..... क्या करता सिर नीचा किये गुरु के पीछे हो लिया ......

बकैत बाज

No comments:

Post a Comment